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हिन्दी कहानी

पत्नी एक युवक के साथ लिपटकर सोई हुई थी. उस धनी युवक का दिमाग बिलकुल काम नही कर रहा था, मै विदेश में भी इसकी दिन ब दिन चिंता किये जा रहा था.

घर जाकर उसने अपनी पढाई को अनवरत रखा, इसी समय उन्हें गाँव के जमीदार के यहाँ पर नौकरी मिल गई.

अपने मन को यह कहकर समझाने लगी- अंगूर तो बहुत खट्टे हैं, इसको खाकर मै बीमार पड जाउगी.

उसे सोच में बैठा देख राधे गुप्त ने कारण पूछा. रामास्वामी ने बताया, ”आपने परीक्षा की शर्त के रूप में कहा था कि चोरी करते समय कोई देख न सके.

लड़का बेहद बुद्दिमान व होशियार था उसने तुरंत उस सेठ के घर काम करने की नौकरी छोड़ दी.

देवताओं ने एक उपाय सोचा, कमरे का किवाड़ बंद किया. आमने सामने बैठ गये. लड्डू उठाकर एक दूसरे के मुहं में देने लगे.

अतः उन्हें समझा बुझलाकर शांत करने एवं आपस में समझौता कराने का प्रयास करना चाहिए.

समदा रे कांठे ब्याई म्हारा बीर – टमरकटूँ

उन्दरे ने तीनों चीजे बिल के द्वार पर लाकर रख दी. खेत का मालिक ख़ुशी से बावला हो गया.

देथा जी की अन्य लघु कथाएं मैं बातां री फुलवारी,प्रेरणा,सोरठा,रूँख,कबू रानी,बापु के तीन हत्यारे विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.

मुझे अपने बल पर पूरा भरोसा हैं. शीघ्र ही उसका नाश नही किया तो बाद में असाध्य रोग की तरह ताकतवर हो जाएगा.

सोचा हमने ढेरों पैसा कमाया हैं, वैसे भी यह अपने वतन का आदमी हैं,

कुछ देर में थाल साफ़ हो गया. सारे लड्डू समाप्त हो गये. न हो हल्ला न शोरगुल. इस तरह देवताओं ने शांतिपूर्ण भोजन किया.

भले ही इसके लिए चोरी का रास्ता क्यों न चुनना पड़े. लेकिन सभी को एक शर्त का पालन करना होगा, शर्त यह है कि किसी भी शिष्य को चोरी करते हुए कोई देख न सके.

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